Saturday, November 13, 2010

प्रकृति का वास्तविक स्वरुप


नदियां, पंछी, बादल और धुप

प्रकृति का अनुपम मोहक स्वरुप

कल-कल करता वह जल-प्रपात

भय प्रेरित करता मेघ नाद

तितली का संदीप्त मनमोहक नृत्य

वह देखो भ्रमर का उद्धरण कृत्य

सबमे है वह अलौकिक ओज प्रधान

वह प्राण संचारक तत्व समान

है सर्व प्रथक है सर्व विलीन

संसार सकल जिसके आधीन

कर अक्षय अर्पित सर्वस्व उस पर

तुम कार्य करो उत्तम पथ पर

वसुधैव कुटुम्बकम लो अब भी मान

देखो कण कण में बसते राम

No comments:

Post a Comment

featured-content

Find??